नही चाहिए मुझे कुछ भी, सिवाये तुम्हारे,, ,, RMK
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क्यू कहती हो की तुम आज़ाद हो,,,
अपनी "जिंदगी"से जुदा होके,,,
कोई जिंदा रहता है क्या भला,,,
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क्या है,,, तुमसे प्यार ना,,
क्या करू,, इंतज़ार ना,,,
लबो की प्यास,, तुम्हारा माथा,,,
आंखों कि,, तुम्हारा चेहरा...
लिखुंगा,,किताब किसी रोज, तुमपे,,
पढ़ कर तुम्हारी आंखों से...
अभी बे-खयाल,, बदहवास हूँ...
कुछ "सांसें" देदो ना,, मुझे,
आकर यहाँ..
अपनी सांसो से,,,,
©manbodh sahu