नानी तेरा प्यार था कितना निराला
नानी तेरा प्यार था कितना निराला।
हाथो में डंडा, दिल मे प्यार का प्याला।
नानी तेरा प्यार था कितना निराला।
नहला-धुलाकर नये कपड़े पहनाती,
सिर में बालो की कसी चोटी बनाती।
तेरा हर काम मैं बिगड़ती रहती, तुझसे
डांट खाती रहती।
नानी तेरा प्यार था कितना निराला।
हाथो मे डंडा, दिल में प्यार का प्याला।
माँ की कमी कभी महसूस ना कराई।
तेरे प्यार पर थी इतनी गहरी सच्चाई।
खुद ना खाकर मुझे खिलाती, तरह तरह के
पकवान मेरे लिए बनाती।
नानी तेरा प्यार था कितना निराला।
हाथो में था डंडा, दिल में प्यार का प्याला।
तुमने मुझे इतना सशक्त बानाया, हर काम मुझे
ऐसा बताया, ज़िंदगी में आगे बढ़ना सिखाया।
नानी तेरा प्यार थे कितना निराला।
हाथो में डंडा, दिल में प्यार का प्याला।
©Saroj Bhatia
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