इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने की | हिंदी शायरी

"इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने की इस कदर उलझे हैं अब कि कुछ सुलझ नहीं पाता यूं तो इस शहर में ही बनवाया था मैंने मकान अपना पर जाने क्यों शहर का कोई रास्ता मेरे घर नही जाता मुझ पर पड़ी हर नज़र के माथे पर शिकन आ गई इस बेरुखी की पर जाने क्यों कोई वजह नही बताता यूं ही बचपने में अक्सर हंस देता था मैं जिन्दगी पर अब सयाना इस कदर हो गया हूं की रोया नहीं जाता एक तो बारिश की नमी उस पर तेरी यादों की सिसक जो इस कदर ही जीना है तो फिर मर क्यों नहीं जाता ©Atul singh"

 इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने
की इस कदर उलझे हैं अब कि कुछ सुलझ नहीं पाता 

यूं तो इस शहर में ही बनवाया था मैंने मकान अपना
पर जाने क्यों शहर का कोई रास्ता मेरे घर नही जाता

मुझ पर पड़ी हर नज़र के माथे पर शिकन आ गई
इस बेरुखी की पर जाने क्यों कोई वजह नही बताता

यूं ही बचपने में अक्सर हंस देता था मैं जिन्दगी पर
अब सयाना इस कदर हो गया हूं की रोया नहीं जाता

एक तो बारिश की नमी उस पर तेरी यादों की सिसक
जो इस कदर ही जीना है तो फिर मर क्यों नहीं जाता

©Atul singh

इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने की इस कदर उलझे हैं अब कि कुछ सुलझ नहीं पाता यूं तो इस शहर में ही बनवाया था मैंने मकान अपना पर जाने क्यों शहर का कोई रास्ता मेरे घर नही जाता मुझ पर पड़ी हर नज़र के माथे पर शिकन आ गई इस बेरुखी की पर जाने क्यों कोई वजह नही बताता यूं ही बचपने में अक्सर हंस देता था मैं जिन्दगी पर अब सयाना इस कदर हो गया हूं की रोया नहीं जाता एक तो बारिश की नमी उस पर तेरी यादों की सिसक जो इस कदर ही जीना है तो फिर मर क्यों नहीं जाता ©Atul singh

#Journey

People who shared love close

More like this

Trending Topic