White भोर जगाना रात सुलाना अपने बस की बात नहीं।
एक चने को झाड़ चढ़ाना अपने बस की बात नहीं।
इस राजनीति की चौसर पर हम खुद से ही हार गए,
घात लगाना बात घुमाना अपने बस की बात नहीं।
जिसके मन में पनप रही हो भूख के कारण बेचैनी,
उसको झूठे ख्वाब दिखाना अपने बस की बात नहीं।
पड़ी जरूरत तो हमने अपना ही छप्पर ताप लिया,
गैर के घर में आग लगाना अपने बस की बात नहीं।
हम कैसे घुल मिल जाएं इस रंग बदलती दुनिया में,
गिरगिट सा किरदार निभाना अपने बस की बात नहीं।
भाड़ में जाए दुनियादारी मतलब की ऐसी-तैसी,
किसी गधे को बाप बनाना अपने बस की बात नहीं।
उनको आता देखा तो चहरे पर मुस्कान सजा ली,
दवा की खातिर ज़ख्म गिनाना अपने बस की बात नहीं।
इसीलिए हमको बस्ती में यार मिले हैं गिनती के,
जबरन सबसे हाथ मिलाना अपने बस की बात नहीं।
27/72024
सुरेन्द्र लोहट
©surender kumar
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