एक रोज बाद फिर चाँद देखा..
पर शर्त ये थी !
रोज खिड़की से देखती,
आज खिड़की से बाहर देखा..
तारों की टिमटिमाहट के बीच:)
वो कुछ अलग नजर आ रहा था
एकटक निहारती मैं उसे
और वो चाँदनी को रिझा रहा था:)
मुस्कुराते हुए वो ^
बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था
उस पर लगा हर दाग मुझे
दवा सा नजर आ रहा था
और आंखें खुलते ही पता चला
हमेशा की तरह वो
फिर ख्वाब में नजर आ रहा था।:)
BAJETHA NIKITA...
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