ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीबी को मेरी । रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३ दिख रही है आदमी में बुज़दिली । इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४ अब भरोसे का नही है आदमी । ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५ मानकर बातें सभी दिलदार की । जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६ दो निवालों के लिए है भागता । तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७ उसके गदराये बदन को देखकर । बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८ जान की कीमत नही बाजार में । गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९ किसलिए मायूस होना दुनिया से । हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१० ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर । आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल :-
आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ ।
आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१
इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल ।
भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२
देख तो ले बदनसीबी को मेरी ।
रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३
दिख रही है आदमी में बुज़दिली ।
इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४
अब भरोसे का नही है आदमी ।
ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५
मानकर बातें सभी दिलदार की ।
जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६
दो निवालों के लिए है भागता ।
तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७
उसके गदराये बदन को देखकर ।
बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८
जान की कीमत नही बाजार में ।
गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९
किसलिए मायूस होना दुनिया से ।
हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१०
ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर ।
आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीबी को मेरी । रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३ दिख रही है आदमी में बुज़दिली । इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४ अब भरोसे का नही है आदमी । ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५ मानकर बातें सभी दिलदार की । जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६ दो निवालों के लिए है भागता । तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७ उसके गदराये बदन को देखकर । बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८ जान की कीमत नही बाजार में । गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९ किसलिए मायूस होना दुनिया से । हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१० ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर । आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-
आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ ।
आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१
इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल ।
भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२
देख तो ले बदनसीबी को मेरी ।
रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३
दिख रही है आदमी में बुज़दिली ।

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