लम्हें लिखा है मन की दीवारों पर
हर एक लम्हा,
जो हमारी पसंद और ना पसंद रहा।
सब कुछ बदलता जा रहा है
बचपन से लेकर ,अब तक
पर वह लम्हे आज भी वैसे ही है
रंग बिरंगे भावों से भरे हुए,
बीते हुए कल के साथ अठखेलियां करते हुए,
खींच लेता आज भी मन को बीते कल की यादों में
सुसुप्त मन के तार फिर जीवंत हो उठते हैं।
ज्योत्स्ना
©Dr jyotsna singh Rajawat
लम्हें
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