गांव की गलियों में बसी चांदनी, खुश्बूओं की गाथा गु | हिंदी Video

"गांव की गलियों में बसी चांदनी, खुश्बूओं की गाथा गुंजाती है। चौपट गलियों में बसी मस्तियां, खेतों की कहानियां सुनाती है। सूखे पत्तों को झूलती हवाएं, गोलियों संग छलांग लगाती है। ग्रामीण भारत की शान है ये, माता-पिता की दुलारी बनाती है। मुट्ठीभर रेत की बिल्डिंगों के, ताकत से ठहरती है ये साथी। त्योहारों की मधुमती में हंसती, रंगों से फूलों की पुष्पवती बनाती है। गांव की नदियों की चंचलता से, हरदम जीवन में ताजगी भराती है। रेलगाड़ी अवाज के उसोलों से, गांव का नाम दूर तक बहाती है। गांव के उजियालों में पलती, पहाड़ों के दरीचों में मचाती है। गांव की बस्तियों में हर घर में होती, भारतीयता की गरिमा बसाती है। गांव को नहीं भूलेंगे हम, उसकी यादों से मन भराते हैं। वादियों को हम शब्दों में छापते हैं, गांव की गौरवगाथा गुनगुनाते हैं। ©Rajat Chaturvedi "

गांव की गलियों में बसी चांदनी, खुश्बूओं की गाथा गुंजाती है। चौपट गलियों में बसी मस्तियां, खेतों की कहानियां सुनाती है। सूखे पत्तों को झूलती हवाएं, गोलियों संग छलांग लगाती है। ग्रामीण भारत की शान है ये, माता-पिता की दुलारी बनाती है। मुट्ठीभर रेत की बिल्डिंगों के, ताकत से ठहरती है ये साथी। त्योहारों की मधुमती में हंसती, रंगों से फूलों की पुष्पवती बनाती है। गांव की नदियों की चंचलता से, हरदम जीवन में ताजगी भराती है। रेलगाड़ी अवाज के उसोलों से, गांव का नाम दूर तक बहाती है। गांव के उजियालों में पलती, पहाड़ों के दरीचों में मचाती है। गांव की बस्तियों में हर घर में होती, भारतीयता की गरिमा बसाती है। गांव को नहीं भूलेंगे हम, उसकी यादों से मन भराते हैं। वादियों को हम शब्दों में छापते हैं, गांव की गौरवगाथा गुनगुनाते हैं। ©Rajat Chaturvedi

#Pattiyan @Rajat Chaturvedi

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