ख़ाक रही तमन्ना अब जीनेमें। दिल नहीं पत्थर है अब स | हिंदी कविता

"ख़ाक रही तमन्ना अब जीनेमें। दिल नहीं पत्थर है अब सीनेमें। नजरोसे तो गिरे दिलसे उतर गए, अच्छा हुआ सारे भरम बिखर गए, तांत्रिक तेरे वशमें मुजे कर ना सकेगा, खूब चाल चलो पर मेरा ना हो पाएगा, जिन्दा लाश बना दिया जालिम, दिल तोड़ा तूने प्यार के महीनेमें। ©Brsolanki"

 ख़ाक रही तमन्ना अब जीनेमें।
दिल नहीं पत्थर है अब सीनेमें।
नजरोसे तो गिरे दिलसे उतर गए,
अच्छा हुआ सारे भरम बिखर गए,
तांत्रिक तेरे वशमें मुजे कर ना सकेगा,
खूब चाल चलो पर मेरा ना हो पाएगा,
जिन्दा लाश बना दिया जालिम,
दिल तोड़ा तूने प्यार के महीनेमें।

©Brsolanki

ख़ाक रही तमन्ना अब जीनेमें। दिल नहीं पत्थर है अब सीनेमें। नजरोसे तो गिरे दिलसे उतर गए, अच्छा हुआ सारे भरम बिखर गए, तांत्रिक तेरे वशमें मुजे कर ना सकेगा, खूब चाल चलो पर मेरा ना हो पाएगा, जिन्दा लाश बना दिया जालिम, दिल तोड़ा तूने प्यार के महीनेमें। ©Brsolanki

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