मेरा तिरंगा लहर लहर कर, आज बधाई देता है
स्वतंत्रता दिवस के इतिहास को अपनी जुबानी कहता है
देश मेरा आधीन रहा है, ना जाने कितने वर्षों तक
मातृभूमि पर तिलक नहीं था ना जाने कितने वर्षों तक
सन्न सत्तावन की क्रांति मुझको, आँखों देखी याद है
लहू से लिप्टा एक एक धढ़ भी आज अभी तक याद है
तूफ़ान से निकली किश्ती कैसे, ये मैंने स्वयं ही देखा था
रक्त की नदियों में कैसे नौका तैरी कैसे मैं सब सहता था
विनती करता हूँ मैं सबसे अब, आज़ाद अब तुम भी हो जाओ
छोड़ो जातिवाद का ये पल्लू और एक राष्ट्र अब बन जाओ
©Ak.vaibhav