वो दिन भी कितना लुभावन होगा,प्रतीत मानो सावन होगा,,
निश्छल भावों का संगम, जैसे शिव गौरी का आह्वान होगा,,
मेरे तृष्णा की तृप्ति होगी ,विचारों की अभिव्यक्ति होगी,,
बंधन में जो बंधा है मन ,उसकी उस दिन मुक्ति होगी,,
वादों का गठबंधन होगा,पुर्नमिलन पर संवाद होगा,,
वो दिन भी कितना पावन होगा ,जब विश्वनाथ संग केदारनाथ होगा।।💙
©sakshi jaiswal
#waitingforSomeone