• जिंदगी •
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जिंदगी कभी कितनी खूबसूरत थी,
खुशियाँ इतनी थी, ग़म की कब जरूरत थी,
वक़्त की सुनामी में, हर ख्वाब बह गया,
ज़िन्दगी में बहारों का, बस इंतज़ार रह गया,
अब फ़ीकी हो गई, इन आँखों की वो चमक,
ख़ामोश हो गई अब तो, होठो की वो खनक,
बचपन की ऊँगली हाथ से, जिस रोज छूट गई,
जिसमे बँधा था सुकून, वो हर डोर टूट गई,
अब दर्द के समंदर में, ख्वाहिशों की नाव हैं,
चलना हैं गाम गाम और,
पांवो में अनगिनत घाव हैं।।
•§ शुभम राज तिवारी §•
©Shubham Raj Tiwari
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