दर्द ए जबां है फिर भी खामोशियां है कितनी, ज़िन्दगी | हिंदी शायरी

"दर्द ए जबां है फिर भी खामोशियां है कितनी, ज़िन्दगी की शिकायत अब करें भी तो किससे। मेरा सब्र भी तो देखो इक चुं तक ना निकली, बर्बादियों के क़िस्से अब सुनाएं भी तो किससे। ©Nitesh Vashist"

 दर्द ए जबां है फिर भी खामोशियां है कितनी,
ज़िन्दगी की शिकायत अब करें भी तो किससे।

मेरा सब्र भी तो देखो इक चुं तक ना निकली,
बर्बादियों के क़िस्से अब सुनाएं भी तो किससे।

©Nitesh Vashist

दर्द ए जबां है फिर भी खामोशियां है कितनी, ज़िन्दगी की शिकायत अब करें भी तो किससे। मेरा सब्र भी तो देखो इक चुं तक ना निकली, बर्बादियों के क़िस्से अब सुनाएं भी तो किससे। ©Nitesh Vashist

#Darknight

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