जहाँ सर झुक जाये बही खुदा का घर है जहाँ नदी मिल जा

"जहाँ सर झुक जाये बही खुदा का घर है जहाँ नदी मिल जाये बही समंदर है, इस जिंदगी में दर्द तो सभी देते हैं जो दर्द को समझ सके बही हमदर्द है।"

 जहाँ सर झुक जाये बही खुदा का घर है
जहाँ नदी मिल जाये बही समंदर है,
इस जिंदगी में दर्द तो सभी देते हैं
जो दर्द को समझ सके बही हमदर्द है।

जहाँ सर झुक जाये बही खुदा का घर है जहाँ नदी मिल जाये बही समंदर है, इस जिंदगी में दर्द तो सभी देते हैं जो दर्द को समझ सके बही हमदर्द है।

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