ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ? दिया तो द | हिंदी Life

"ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ? दिया तो दुनिया को दुनियाभर का ग़म। ढेरों सितम।। इंसान की इच्छाएँ ध्वस्त कीं। जीवनचर्या अस्त-व्यस्त की।। काम-धंधे बंद। सब नजरबंद।। इरफान और सुशांत को तू खा गया। कुछ लोगों से राहत तो दिलाई मगर प्रणव जैसों को भी लेकर चला गया।। तू दुनिया पर आफत बनकर आ गया। कोरोना बनकर कहर ढा गया।। कोरोना भी दोगला कोरोना.. जो बिना मास्क अकेले पैदल जा रहे गरीब आदमी को तो संक्रमित कर जाता है। और नेताओं की रैलियों में भीड़ के पैरों तले कुचलकर मर जाता है।। भले ही इस भय के बाजार में तेरी हर चीज बिकी है पर सोनू सूद जैसों के रूप में इंसानियत भी दिखी है। इंसान की अभिलाषा तेरे द्वारा छली गयी है। अनुष्का से आस थी,वो खुशी भी 2021 के लिए चली गयी है।। क्या बताऊँ कैसे-कैसे सितम ढाये हैं। घर में बैठे-बैठे लोगों के पेट निकल आये हैं।। कमीज़ के बटन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने लगे हैं। परिवार के साथ समय बिताने की खुशी ने ठगे हैं। तेरे समय में अब रिश्तों में भी डाउट हो जाता है। जब 50 की लिस्ट से नाम आउट हो जाता है।। कंगना और मुम्बई प्रशासन आमने-सामने खड़ा किया। किसान धरने पे अड़ा दिया।। कैसा जुल्म तूने भारत की जनता के संग कर दिया। मोदी जैसे PM से जनता का मोहभंग कर दिया।। खेलों की खुशी भी तुझे रास नहीं आई। भारतीय टीम 36 पर ऑल आउट करायी। पास रहकर बच्चे माँ-बाप से बिलकुल नहीं डरते हैं। सोचा भी नहीं होगा,ऐसी-ऐसी शरारतें करते हैं।। तूने कुछ ऐसा नहीं किया कि तेरी विदाई पर रोऊँ। तेरी कोई ऐसी अदा नहीं जिस पर फिदा होऊँ। तूने पूरी दुनिया की खुशियों में आग लगाई है। चुपचाप दबे पाँव निकल जा ,इसी में सबकी भलाई है।। खैर लड़ेंगे क्योंकि मनुष्य की फितरत है परिस्थितियों से लड़ जाए। पर ऐसा समय लेकर कभी कोई साल नहीं आये।। तेरे बारे में सोचकर क्यों समय बरबाद करूँ? ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ।। ✍🌹परेशान🌹✍ ©Dharmendra Singh"

 ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ?

दिया तो दुनिया को दुनियाभर का ग़म।
ढेरों सितम।।
इंसान की इच्छाएँ ध्वस्त कीं।
जीवनचर्या अस्त-व्यस्त की।।
काम-धंधे बंद।
सब नजरबंद।।
इरफान और सुशांत को तू खा गया।
कुछ लोगों से राहत तो दिलाई मगर प्रणव जैसों को भी लेकर चला गया।।
तू दुनिया पर आफत बनकर आ गया।
कोरोना बनकर कहर ढा गया।।

कोरोना भी दोगला कोरोना..
जो बिना मास्क अकेले पैदल जा रहे गरीब आदमी को तो संक्रमित कर जाता है।
और नेताओं की रैलियों में भीड़ के पैरों तले कुचलकर मर जाता है।।
भले ही इस भय के बाजार में तेरी हर चीज बिकी है
पर सोनू सूद जैसों के रूप में इंसानियत भी दिखी है।
इंसान की अभिलाषा तेरे द्वारा छली गयी है।
अनुष्का से आस थी,वो खुशी भी 2021 के लिए चली गयी है।।
क्या बताऊँ कैसे-कैसे सितम ढाये हैं।
घर में बैठे-बैठे लोगों के पेट निकल आये हैं।।
कमीज़ के बटन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने लगे हैं।
परिवार के साथ समय बिताने की खुशी ने ठगे हैं।
तेरे समय में अब रिश्तों में भी डाउट हो जाता है।
जब 50 की लिस्ट से नाम आउट हो जाता है।।
कंगना और मुम्बई प्रशासन आमने-सामने खड़ा किया।
किसान धरने पे अड़ा दिया।।
कैसा जुल्म तूने भारत की जनता के संग कर दिया।
मोदी जैसे PM से जनता का मोहभंग कर दिया।।
खेलों की खुशी भी तुझे रास नहीं आई।
भारतीय टीम 36 पर ऑल आउट करायी।
पास रहकर बच्चे माँ-बाप से बिलकुल नहीं डरते हैं।
सोचा भी नहीं होगा,ऐसी-ऐसी शरारतें करते हैं।।
तूने कुछ ऐसा नहीं किया कि तेरी विदाई पर रोऊँ।
तेरी कोई ऐसी अदा नहीं जिस पर फिदा होऊँ।
तूने पूरी दुनिया की खुशियों में आग लगाई है।
चुपचाप दबे पाँव निकल जा ,इसी में सबकी भलाई है।।
खैर लड़ेंगे क्योंकि मनुष्य की फितरत है परिस्थितियों से लड़ जाए।
पर ऐसा समय लेकर कभी कोई साल नहीं आये।।
तेरे बारे में सोचकर क्यों समय बरबाद करूँ?
ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ।।
       ✍🌹परेशान🌹✍

©Dharmendra Singh

ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ? दिया तो दुनिया को दुनियाभर का ग़म। ढेरों सितम।। इंसान की इच्छाएँ ध्वस्त कीं। जीवनचर्या अस्त-व्यस्त की।। काम-धंधे बंद। सब नजरबंद।। इरफान और सुशांत को तू खा गया। कुछ लोगों से राहत तो दिलाई मगर प्रणव जैसों को भी लेकर चला गया।। तू दुनिया पर आफत बनकर आ गया। कोरोना बनकर कहर ढा गया।। कोरोना भी दोगला कोरोना.. जो बिना मास्क अकेले पैदल जा रहे गरीब आदमी को तो संक्रमित कर जाता है। और नेताओं की रैलियों में भीड़ के पैरों तले कुचलकर मर जाता है।। भले ही इस भय के बाजार में तेरी हर चीज बिकी है पर सोनू सूद जैसों के रूप में इंसानियत भी दिखी है। इंसान की अभिलाषा तेरे द्वारा छली गयी है। अनुष्का से आस थी,वो खुशी भी 2021 के लिए चली गयी है।। क्या बताऊँ कैसे-कैसे सितम ढाये हैं। घर में बैठे-बैठे लोगों के पेट निकल आये हैं।। कमीज़ के बटन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने लगे हैं। परिवार के साथ समय बिताने की खुशी ने ठगे हैं। तेरे समय में अब रिश्तों में भी डाउट हो जाता है। जब 50 की लिस्ट से नाम आउट हो जाता है।। कंगना और मुम्बई प्रशासन आमने-सामने खड़ा किया। किसान धरने पे अड़ा दिया।। कैसा जुल्म तूने भारत की जनता के संग कर दिया। मोदी जैसे PM से जनता का मोहभंग कर दिया।। खेलों की खुशी भी तुझे रास नहीं आई। भारतीय टीम 36 पर ऑल आउट करायी। पास रहकर बच्चे माँ-बाप से बिलकुल नहीं डरते हैं। सोचा भी नहीं होगा,ऐसी-ऐसी शरारतें करते हैं।। तूने कुछ ऐसा नहीं किया कि तेरी विदाई पर रोऊँ। तेरी कोई ऐसी अदा नहीं जिस पर फिदा होऊँ। तूने पूरी दुनिया की खुशियों में आग लगाई है। चुपचाप दबे पाँव निकल जा ,इसी में सबकी भलाई है।। खैर लड़ेंगे क्योंकि मनुष्य की फितरत है परिस्थितियों से लड़ जाए। पर ऐसा समय लेकर कभी कोई साल नहीं आये।। तेरे बारे में सोचकर क्यों समय बरबाद करूँ? ऐसा क्या दिया तूने जो तुम्हें याद करूँ।। ✍🌹परेशान🌹✍ ©Dharmendra Singh

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