White नदी के किनारे एक शाम कुछ बाते लिखी, कुछ अधूर | हिंदी कविता

"White नदी के किनारे एक शाम कुछ बाते लिखी, कुछ अधूरी तो किसी की कहानी पूरी लिखी। तन्हा तन्हा सा था वो सागर, सुन के मेरी गजले वो भी मचल गया। इन नगमों को पढ़ के आकाश भी अंशु ना रोक सका, थक हार के वो भी बरस पड़ा। कुछ हरियाली छाई थी वहां, बाते इतनी हुई की पेड़ भी दुख में मुरझा से गए। अंत में मैं अपने घर को लौट आया, जहां ना कोई समझा ना मैं किसी को समझा पाया। शाम को क्या देखा ये किसे बताऊं, उस कहानी का शीर्षक किसे बनाऊं। इस सफर में अब मैं थक सा गया हूं, अपनी ही कहानी का पात्र मैं बन सा गया हूं। ©Ashish Yadav"

 White नदी के किनारे एक शाम कुछ बाते लिखी,
कुछ अधूरी तो किसी की कहानी पूरी लिखी।
तन्हा तन्हा सा था वो सागर,
सुन के मेरी गजले वो भी मचल गया।
इन नगमों को पढ़ के आकाश भी अंशु ना रोक सका,
थक हार के वो भी बरस पड़ा।
कुछ हरियाली छाई थी वहां,
बाते इतनी हुई की पेड़ भी दुख में मुरझा से गए।
अंत में मैं अपने घर को लौट आया,
जहां ना कोई समझा ना मैं किसी को समझा पाया।
शाम को क्या देखा ये किसे बताऊं,
उस कहानी का शीर्षक किसे बनाऊं।
इस सफर में अब मैं थक सा गया हूं,
अपनी ही कहानी का पात्र मैं बन सा गया हूं।

©Ashish Yadav

White नदी के किनारे एक शाम कुछ बाते लिखी, कुछ अधूरी तो किसी की कहानी पूरी लिखी। तन्हा तन्हा सा था वो सागर, सुन के मेरी गजले वो भी मचल गया। इन नगमों को पढ़ के आकाश भी अंशु ना रोक सका, थक हार के वो भी बरस पड़ा। कुछ हरियाली छाई थी वहां, बाते इतनी हुई की पेड़ भी दुख में मुरझा से गए। अंत में मैं अपने घर को लौट आया, जहां ना कोई समझा ना मैं किसी को समझा पाया। शाम को क्या देखा ये किसे बताऊं, उस कहानी का शीर्षक किसे बनाऊं। इस सफर में अब मैं थक सा गया हूं, अपनी ही कहानी का पात्र मैं बन सा गया हूं। ©Ashish Yadav

#good_morning_quotes

People who shared love close

More like this

Trending Topic