लफ्ज़ बोलते है मगर देख लेते है अपने आने वाले सहर झू

"लफ्ज़ बोलते है मगर देख लेते है अपने आने वाले सहर झूठ की कहानी ,झूठे लोग,झूठे सजावट की दुनिया है चारों और फैला कुहासा सा, कुछ कौतूहल से भरा सब देखते हैं मगर, अपनी आने वाले सुबह देख लेते हैं सवाल बहुत है मगर क्या करे जवाब पहले देख लेते हैं समझा दिया है अपने जेहन को की मत लाये सवालों का सैलाब। हम चेहरे से ही जवाब पढ़ लेते हैं। हम तो यूँही चले थे इस राह में क्या करें मुझे ये शहर खुद खोज लेते हैं। #बेवजह का कोई मतलब ना निकले कलम है कहानी यूँही खोज लेते हैं ©Rajesh Kumar"

 लफ्ज़ बोलते है मगर देख लेते है अपने आने वाले सहर
झूठ की कहानी ,झूठे लोग,झूठे सजावट की दुनिया है
चारों और फैला कुहासा सा, कुछ कौतूहल से भरा
सब देखते हैं मगर, अपनी आने वाले सुबह देख लेते हैं
    सवाल बहुत है मगर क्या करे जवाब पहले देख लेते हैं
    समझा दिया है अपने जेहन को की मत लाये सवालों का सैलाब।
    हम चेहरे से ही जवाब पढ़ लेते हैं।
हम तो यूँही चले थे इस राह में 
क्या करें मुझे ये शहर खुद खोज लेते हैं।
 #बेवजह का कोई मतलब ना निकले
   कलम है कहानी यूँही खोज लेते हैं

©Rajesh Kumar

लफ्ज़ बोलते है मगर देख लेते है अपने आने वाले सहर झूठ की कहानी ,झूठे लोग,झूठे सजावट की दुनिया है चारों और फैला कुहासा सा, कुछ कौतूहल से भरा सब देखते हैं मगर, अपनी आने वाले सुबह देख लेते हैं सवाल बहुत है मगर क्या करे जवाब पहले देख लेते हैं समझा दिया है अपने जेहन को की मत लाये सवालों का सैलाब। हम चेहरे से ही जवाब पढ़ लेते हैं। हम तो यूँही चले थे इस राह में क्या करें मुझे ये शहर खुद खोज लेते हैं। #बेवजह का कोई मतलब ना निकले कलम है कहानी यूँही खोज लेते हैं ©Rajesh Kumar

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