कागज़ों की परत पर,
मैं अफसाने बुनती हूं।।
रुकती हूं कभी,
कभी मैं चलती जाती हूं।।
इश्क़,मोहब्बत,बेवफाई,शरारत,
मैं सच्ची घटनाओं की महज,
प्रतिलिपि लिखती हूं।।
छेड़ जाएं जो दिल के तार आपके,
मैं ऐसी कुछ कविताएं गढ़ती हूं।।
और आपने तो कलम को हमारी
बेवफा बता दिया,
सच कहूं,
तो मैं इसी कलम से वफाएं लिखती हूं।।
©Geetanjali parida
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