मोहब्बत तो है पर मैं मोहब्बत के लिए कुर्बानी मांग | हिंदी कविता

"मोहब्बत तो है पर मैं मोहब्बत के लिए कुर्बानी मांग लेता हूं ख्वाबों में सही, पर हकीक़त के लिए घड़ी भर के लिए मैं उसकी जवानी माँग लेता हूँ.. ©Sahil Bhardwaj"

 मोहब्बत तो है
पर मैं मोहब्बत के लिए कुर्बानी मांग लेता हूं
ख्वाबों में सही, पर हकीक़त के लिए 
घड़ी भर के लिए 
मैं उसकी जवानी माँग लेता हूँ..

©Sahil Bhardwaj

मोहब्बत तो है पर मैं मोहब्बत के लिए कुर्बानी मांग लेता हूं ख्वाबों में सही, पर हकीक़त के लिए घड़ी भर के लिए मैं उसकी जवानी माँग लेता हूँ.. ©Sahil Bhardwaj

जब भी मिलता हूँ उससे
कुछ न कुछ मैं निशानी मांग लेता हूं,
प्यासा हूँ उसके मोहब्बत का
कुछ न सही पर मैं पानी मांग लेता हूं..

कुछ सवाल कर लेता हूं उससे
कुछ जवाब सुन लेता हूं उसके
रंग भरने को नया, अपनी ज़िंदगी में

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