White पल्लव की डायरी
अनकही जिंदगी है
तरह तरह से रोज रोज सताती है
उगते,अस्त होते,चाँद सूरज
पड़ाव उम्रो के हम कितने चढ़ जाते है
मलते रहते ख्वाहिश के सपने
मेहनत कर कर मर जाते है
उसूलो वाले संसार की जमात में
हम जैसे नेक सत्यवादी पनप नही पाते है
सज्जनता का यहाँ ना कोई मोल
घुट कर जलील सब करते जाते है
पाप के सब बाप है यहाँ
हर हिस्से ईमानदार के खाये जाते है
नीयत और नैतिकता की आड़ लिये
शिकार सबको बनाये जाते है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#sad_quotes पाप के सब बाप है यहाँ