सच तो ये कि दांस्ताँ सुनाई नहीं जाती मेरे ग़म-ए-हिज | हिंदी Shayari Vid

"सच तो ये कि दांस्ताँ सुनाई नहीं जाती मेरे ग़म-ए-हिज्र की सच्चाई नहीं जाती एक रात का बिछड़ा था मुझसे एक शख़्स एक तारीख़ है जो मुझसे भुलाई नहीं जाती 🍇🍇🍓💔 ©naresh_sogarwal "

सच तो ये कि दांस्ताँ सुनाई नहीं जाती मेरे ग़म-ए-हिज्र की सच्चाई नहीं जाती एक रात का बिछड़ा था मुझसे एक शख़्स एक तारीख़ है जो मुझसे भुलाई नहीं जाती 🍇🍇🍓💔 ©naresh_sogarwal

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