#OpenPoetry हज़ार गम हो मगर बदहवास क्या होना
मज़ाक उड़ाए गी दुनिया उदास क्या होना
साहिल पे खड़े उसे इंतेज़ार किसी और का था
नवाब फिर ऐसी डूबती कश्ती मे सवार क्या होना
वो तेरा होकर भी तेरा न हुआ
फिर इस बात पर क्या रोना
हज़ार गम हो मगर बदहवास क्या होना
मज़ाक उड़ाए गी दुनिया उदास क्या होना
साहिल पे खड़े उसे इंतेज़ार किसी और का था
नवाब फिर ऐसी डूबती कश्ती मे सवार क्या होना
वो तेरा होकर भी तेरा न हुआ
फिर इस बात पर क्या रोना