मिट्टी धूल धूसरित तन हो जिसका सब कहतें हैं मैला उस | हिंदी कविता

"मिट्टी धूल धूसरित तन हो जिसका सब कहतें हैं मैला उसे देखते हैं नफरत से कहते शब्द विषैला वह मिट्टी का कर्ज चुकाता नमक है जिसका खाता उसे प्रेम करता जीवन भर निज सर्वस्व लुटाता उसका नमक सभी खातें हैं फिर भी करें न प्रेम चेहरे पर मुश्कान सभी के यह उसकी ही देन कहती मिट्टी मेरे पुत्र को दुनिया नहीं सताए बेखुद सबकी भूख मिटाकर खुद भूखा सो जाए ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 मिट्टी
धूल धूसरित तन हो जिसका
सब कहतें हैं मैला
उसे देखते हैं नफरत से
कहते शब्द विषैला

वह मिट्टी का कर्ज चुकाता
नमक है जिसका खाता
उसे प्रेम करता जीवन भर
निज सर्वस्व लुटाता

उसका नमक सभी खातें हैं
फिर भी करें न प्रेम
चेहरे पर मुश्कान सभी के
यह उसकी ही देन

कहती मिट्टी मेरे पुत्र को
दुनिया नहीं सताए
बेखुद सबकी भूख मिटाकर
खुद भूखा सो जाए

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

मिट्टी धूल धूसरित तन हो जिसका सब कहतें हैं मैला उसे देखते हैं नफरत से कहते शब्द विषैला वह मिट्टी का कर्ज चुकाता नमक है जिसका खाता उसे प्रेम करता जीवन भर निज सर्वस्व लुटाता उसका नमक सभी खातें हैं फिर भी करें न प्रेम चेहरे पर मुश्कान सभी के यह उसकी ही देन कहती मिट्टी मेरे पुत्र को दुनिया नहीं सताए बेखुद सबकी भूख मिटाकर खुद भूखा सो जाए ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#मिट्टी

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