जिसको हराना चाहते हो जितनी भी कोशिश कर लो वो हारने | हिंदी कविता

"जिसको हराना चाहते हो जितनी भी कोशिश कर लो वो हारने वाला नहीं तुम दिन रात एक ही क्यूँ न करलो वो पीछे रहने वाला नहीं उसकी मंजिल सिर्फ है देश की सेवा वो उसका रस्ता बदलने वाला नहीं जो चाहे लगा दो प्रतिबंध जो चाहे लगा दो झुठे आरोप कर लो जी भर के अवेहलना जितना चाहे उडाओ मजाक वो तुम्हारे सामने झुकने वाला नहीं पानी रुपी संघर्ष उसकी पेहचान है वो विश्वास का प्रखर सूर्य तेज है बढाते रहो नकारात्मक सोच का अंधेरा वो किंचित भी छुपने वाला नहीं एक योगी के भाती समर्पित एक जीवन विचार है इस मिट्टी के तपस्वीयो, गुरुजनो का प्राण है राजनीती को मिला श्रेष्ठ वरदान है वो पर्वत जैसा कर्मठ निश्चियी अटल है कितनी भी खडी कर दो मुश्किले तुफानो सी तुमसे वो रुकने वाला नहीं वो निरंतर चलता पानी है हर पल हर घडी बहते जाना उसकी निशानी हैं ज्यादा उस को जब तंग करोगे शांती उसकी भंग करोगे उसको मिटाने की कोशिश में तुम मिट्टी में मिल जाओगे लेकिन वो तुम से मिटने वाला नहीं सपने देखते रहो उसको हराते रहने के तुम पराजित हो जाओगे ये निश्चित हैं हैं बडा काम दुनिया में नाम उसका वो यूं ही हार मानने वाला नहीं - विनोद गणेशपुरे ©Vinod Ganeshpure"

 जिसको हराना चाहते हो जितनी भी कोशिश कर लो
वो हारने वाला नहीं तुम दिन रात एक ही क्यूँ न करलो
वो पीछे रहने वाला नहीं उसकी मंजिल सिर्फ है देश की सेवा
वो उसका रस्ता बदलने वाला नहीं

जो चाहे लगा दो प्रतिबंध जो चाहे लगा दो झुठे आरोप
कर लो जी भर के अवेहलना जितना चाहे उडाओ मजाक
वो तुम्हारे सामने झुकने वाला नहीं

पानी रुपी संघर्ष उसकी पेहचान है वो विश्वास का प्रखर सूर्य तेज है
बढाते रहो नकारात्मक सोच का अंधेरा वो किंचित भी छुपने वाला नहीं

एक योगी के भाती समर्पित एक जीवन विचार है इस मिट्टी के तपस्वीयो, गुरुजनो का प्राण है
राजनीती को मिला श्रेष्ठ वरदान है वो पर्वत जैसा कर्मठ निश्चियी अटल है
कितनी भी खडी कर दो मुश्किले तुफानो सी तुमसे वो रुकने वाला नहीं

वो निरंतर चलता पानी है हर पल हर घडी बहते जाना
उसकी निशानी हैं ज्यादा उस को जब तंग करोगे
शांती उसकी भंग करोगे उसको मिटाने की कोशिश में
तुम मिट्टी में मिल जाओगे लेकिन वो तुम से मिटने वाला नहीं

सपने देखते रहो उसको हराते रहने के तुम पराजित हो जाओगे ये निश्चित हैं
हैं बडा काम दुनिया में नाम उसका वो यूं ही हार मानने वाला नहीं

- विनोद गणेशपुरे

©Vinod Ganeshpure

जिसको हराना चाहते हो जितनी भी कोशिश कर लो वो हारने वाला नहीं तुम दिन रात एक ही क्यूँ न करलो वो पीछे रहने वाला नहीं उसकी मंजिल सिर्फ है देश की सेवा वो उसका रस्ता बदलने वाला नहीं जो चाहे लगा दो प्रतिबंध जो चाहे लगा दो झुठे आरोप कर लो जी भर के अवेहलना जितना चाहे उडाओ मजाक वो तुम्हारे सामने झुकने वाला नहीं पानी रुपी संघर्ष उसकी पेहचान है वो विश्वास का प्रखर सूर्य तेज है बढाते रहो नकारात्मक सोच का अंधेरा वो किंचित भी छुपने वाला नहीं एक योगी के भाती समर्पित एक जीवन विचार है इस मिट्टी के तपस्वीयो, गुरुजनो का प्राण है राजनीती को मिला श्रेष्ठ वरदान है वो पर्वत जैसा कर्मठ निश्चियी अटल है कितनी भी खडी कर दो मुश्किले तुफानो सी तुमसे वो रुकने वाला नहीं वो निरंतर चलता पानी है हर पल हर घडी बहते जाना उसकी निशानी हैं ज्यादा उस को जब तंग करोगे शांती उसकी भंग करोगे उसको मिटाने की कोशिश में तुम मिट्टी में मिल जाओगे लेकिन वो तुम से मिटने वाला नहीं सपने देखते रहो उसको हराते रहने के तुम पराजित हो जाओगे ये निश्चित हैं हैं बडा काम दुनिया में नाम उसका वो यूं ही हार मानने वाला नहीं - विनोद गणेशपुरे ©Vinod Ganeshpure

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