White नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला | हिंदी Quotes

"White नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ। ©"SILENT""

 White 

 
नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। 

विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; 
घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; 
सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, 

आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। 

हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; 
दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, 
तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, 

आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ।

©"SILENT"

White नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ। ©"SILENT"

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