हिम्मत रख मन में
जोश जगा तन में
घुट घुटके मरना क्या
उलझ नहीं धन में
हृदय से बात कर
शत्रु को मात कर
मन के जमात से
भय को अजात कर
पल पल जियो
हरपल को जियो
पहले सीख लो जीना
फिर मरके जीयो ।
कहते हो बंधन है
इसलिए क्रंदन है
तोड़ो भ्रमपाश को
फिर तो अभिनंदन है
बालक से वृद्ध तक वृद्ध से नवजात
पूरा हो वलय तब मिलेगी निजात
संशय न करना सद्यः समर्पण कर
आवरण आनावृत कर सृष्टि के अजात ।
~ कन्हैया प्रसाद रसिक ~
©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik
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