अतिथि अतिथि इस शब्द का अर्थ मेहमान होता है.अतिथि

"अतिथि अतिथि इस शब्द का अर्थ मेहमान होता है.अतिथि देवो भव भी कहा जाता है इसका अर्थ होता है अतिथि भगवान का रूप है. इसलिए हमें बचपन से हो सिखाया जाता है की हमें अतिथि का आदर सम्मान करना चाहिए। जब हमारे घर परिचित अतिथि आते है तो हम बहुत खुश हो जाते है. और अतिथि के आने से घर का माहौल बहुत ही अच्छा हो जाता है. हम सब उनके खाने पीने की,उनके रहने की व्यवस्था करने में जुट जाते है. कभी कभी हमारे घर अजनबी अतिथी भी आते है वो कौन है. और कहा से आये है हमें कुछ नहीं पता होता है.तब भी हमें उनका स्वागत वैसे ही करना चाहिए,जैसे हम परिचित अतिथियों का स्वागत करते है.हमें अतिथि से हमेशा प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए। हमारे मन में अतिथि के लिए कभी भी हीन भावना नहीं आनी चाहिए और हमें कभी उनका निरादर नहीं करना चाहिए।जो व्यक्ति कभी भी अपने अतिथि का सत्कार नहीं करता भगवान भी उनके घर नहीं आते है.इसलिए अतिथि चाहे परिचित हो या अजनबी हो हमें हमेशा उनका आदर सम्मान करना चाहिए क्योंकि अतिथि देवो भव.. ©Umera Shaikh"

 अतिथि

अतिथि इस शब्द का अर्थ मेहमान होता है.अतिथि देवो भव भी 
कहा जाता है इसका अर्थ होता है अतिथि भगवान का रूप है.
इसलिए हमें बचपन से हो सिखाया जाता है की 
हमें अतिथि का आदर सम्मान करना चाहिए।
जब हमारे घर परिचित अतिथि आते है तो हम बहुत खुश हो जाते है. 
और अतिथि के आने से घर का माहौल बहुत ही अच्छा हो जाता है.
हम सब उनके खाने पीने की,उनके रहने की व्यवस्था करने में जुट जाते है.
कभी कभी हमारे घर अजनबी अतिथी भी आते है वो कौन है. 
और कहा से आये है हमें कुछ नहीं पता होता है.तब भी हमें उनका 
स्वागत वैसे ही करना चाहिए,जैसे हम परिचित अतिथियों का स्वागत करते है.हमें अतिथि से हमेशा प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए। हमारे मन में अतिथि के लिए कभी भी हीन भावना नहीं आनी चाहिए और हमें कभी उनका निरादर नहीं करना चाहिए।जो व्यक्ति कभी भी अपने अतिथि का सत्कार नहीं करता भगवान भी उनके घर नहीं आते है.इसलिए अतिथि चाहे परिचित हो या अजनबी हो हमें हमेशा उनका आदर सम्मान करना चाहिए क्योंकि अतिथि देवो भव..

©Umera Shaikh

अतिथि अतिथि इस शब्द का अर्थ मेहमान होता है.अतिथि देवो भव भी कहा जाता है इसका अर्थ होता है अतिथि भगवान का रूप है. इसलिए हमें बचपन से हो सिखाया जाता है की हमें अतिथि का आदर सम्मान करना चाहिए। जब हमारे घर परिचित अतिथि आते है तो हम बहुत खुश हो जाते है. और अतिथि के आने से घर का माहौल बहुत ही अच्छा हो जाता है. हम सब उनके खाने पीने की,उनके रहने की व्यवस्था करने में जुट जाते है. कभी कभी हमारे घर अजनबी अतिथी भी आते है वो कौन है. और कहा से आये है हमें कुछ नहीं पता होता है.तब भी हमें उनका स्वागत वैसे ही करना चाहिए,जैसे हम परिचित अतिथियों का स्वागत करते है.हमें अतिथि से हमेशा प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए। हमारे मन में अतिथि के लिए कभी भी हीन भावना नहीं आनी चाहिए और हमें कभी उनका निरादर नहीं करना चाहिए।जो व्यक्ति कभी भी अपने अतिथि का सत्कार नहीं करता भगवान भी उनके घर नहीं आते है.इसलिए अतिथि चाहे परिचित हो या अजनबी हो हमें हमेशा उनका आदर सम्मान करना चाहिए क्योंकि अतिथि देवो भव.. ©Umera Shaikh

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