White पल्लव की डायरी
तलबगार को धुन हो तलब की
प्यास ज्ञान की प्रगण होती है
होता प्रसव साहित्यों का
चेतना तक तत्व झकझोरता है
सृजन के फूल खिलते है
पल्लवित होते समाज और देश
दूरदृष्टि के फल खिलते है
पाते अराजक और मिथ्यात्व पर विजय
ज्ञान और साहित्यों के आगे
परास्त सिंहासन के दल बल होते है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#hindi_diwas दूरदृष्टि के फल खिलते है
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