कहना तो बोहत कुछ था।
मगर,
ध्यान नहीं देते हो तुम।
दर्द भले ही हम दोनों का है।
दर्द की खबर कहां रखते हो तुम।
देख के भी अनदेखा करदेते हो तुम।
प्यार से बताती खामियां तुम्हारी।
मौका कन्हन देते हो तुम।
फैसला हर बार तुम्हारी ही होती है,
एक बार हमे,
क्या याद भी करते हो तुम?
सोच में पड़ी में जताऊं कैसे तुम्हे
सब जान के भी अनजाने से रहते हो तुम
©G.SARALIKA
#intezar #Nojoto