White लिखना जो चाहूँ ग़म तो उतार पाता हूँ महज़ इक क़ | हिंदी शायरी

"White लिखना जो चाहूँ ग़म तो उतार पाता हूँ महज़ इक क़तरा, मेरी तहरीरों से न मेरे मुक़म्मल दर्द का अंदाज़ा करो। ©Kumar Saurabh"

 White  लिखना जो चाहूँ ग़म तो उतार पाता हूँ महज़ इक क़तरा,
मेरी तहरीरों से न मेरे मुक़म्मल दर्द का अंदाज़ा करो।

©Kumar Saurabh

White लिखना जो चाहूँ ग़म तो उतार पाता हूँ महज़ इक क़तरा, मेरी तहरीरों से न मेरे मुक़म्मल दर्द का अंदाज़ा करो। ©Kumar Saurabh

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