जो अपने परिवार की परवाह किए बिना जो वर्दी स्वयं को

"जो अपने परिवार की परवाह किए बिना जो वर्दी स्वयं को झोंक दे उसके लिए गुलाब. देकर सैल्यूट करना.तो बनता है ना देश में अमन चैन की खातिर कभी प्यार से तो कभी कठोर होना जरूरी है ,तुम पत्थर भी इन पर और पैट्रोल बम भी इन पर बरसाते हो किस गुमान में फिर अपनी सुरक्षा की आस जगाते हो"

 जो अपने परिवार की परवाह किए बिना जो वर्दी स्वयं को झोंक दे उसके लिए गुलाब. देकर सैल्यूट करना.तो बनता है ना





देश में अमन चैन की खातिर कभी प्यार से तो कभी कठोर होना जरूरी है ,तुम पत्थर भी इन पर और पैट्रोल बम भी इन पर बरसाते हो  किस गुमान में फिर अपनी सुरक्षा की आस जगाते हो

जो अपने परिवार की परवाह किए बिना जो वर्दी स्वयं को झोंक दे उसके लिए गुलाब. देकर सैल्यूट करना.तो बनता है ना देश में अमन चैन की खातिर कभी प्यार से तो कभी कठोर होना जरूरी है ,तुम पत्थर भी इन पर और पैट्रोल बम भी इन पर बरसाते हो किस गुमान में फिर अपनी सुरक्षा की आस जगाते हो

#कुछअपनी भी जिम्मेदारी है आम लोगो

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