मैं थार के बबूल सा हो गया हूँ ओस की बूंदों को मैं | हिंदी Shayari

"मैं थार के बबूल सा हो गया हूँ ओस की बूंदों को मैं पत्तो से पी रहा हूँ ज़िंदा हूँ नही पर जी रहा हूँ एक अरसे बाद आये वो बौछारें शायद की क़यामत से कर रहा हूँ इंतेज़ार क़यामत का ©Poemaholic"

 मैं थार के बबूल सा हो गया हूँ
ओस की बूंदों को मैं
पत्तो से पी रहा हूँ
ज़िंदा हूँ नही पर जी रहा हूँ
एक अरसे बाद आये
वो बौछारें शायद
की क़यामत से कर रहा हूँ
इंतेज़ार क़यामत का

©Poemaholic

मैं थार के बबूल सा हो गया हूँ ओस की बूंदों को मैं पत्तो से पी रहा हूँ ज़िंदा हूँ नही पर जी रहा हूँ एक अरसे बाद आये वो बौछारें शायद की क़यामत से कर रहा हूँ इंतेज़ार क़यामत का ©Poemaholic

#थार #रेगिस्तान #बबूल #ओस #क़यामत

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