जिस मैफिल में तू नहीं उस मैफिलको हंमने ठुकरा दिया | हिंदी कविता

"जिस मैफिल में तू नहीं उस मैफिलको हंमने ठुकरा दिया | मोहब्बत में आपके संभालकर रखा हुवा आपणा दिलं भी खो... दिया | आशिकोकीं बस्ती में आपणा एक घर भी बनवा दिया | जो आजतक किसीके लिए भी ना किया ओ... सब हमसफर बस तेरे लिए हैं किया || ©Suyog Kulkarni"

 जिस मैफिल में तू नहीं
उस मैफिलको हंमने ठुकरा दिया |
मोहब्बत में आपके संभालकर रखा हुवा
आपणा दिलं भी खो... दिया |
आशिकोकीं बस्ती में
आपणा एक घर भी बनवा दिया |
जो आजतक किसीके लिए भी ना किया
ओ... सब  हमसफर बस तेरे लिए हैं किया ||

©Suyog Kulkarni

जिस मैफिल में तू नहीं उस मैफिलको हंमने ठुकरा दिया | मोहब्बत में आपके संभालकर रखा हुवा आपणा दिलं भी खो... दिया | आशिकोकीं बस्ती में आपणा एक घर भी बनवा दिया | जो आजतक किसीके लिए भी ना किया ओ... सब हमसफर बस तेरे लिए हैं किया || ©Suyog Kulkarni

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