ये कुछ ऐसे मुखौटे _
जीना चाहती हूं, बचपन बनके __
थोड़ी अल्हड़पन, थोड़ी शरारतें
वेतुकी बातें, बेवजह मुस्कुराते रहना।
जीना चाहती हूं लड़की बनके __
थोड़ी संवरना, थोड़ी शरमाना
बेवजह तारीफें सुनना।
वेश_भूसा के जंजीरों से मुक्त होकर;
कलम की तलवार से युक्त होकर;
कुरीतियों को नष्ट करके;
भ्रष्टाचार को भ्रष्ट करके।
सभ्यता को सुस्त करके।
संस्कृति को चुस्त करके।।
कभी झांसी, कभी मीरा, राधा, द्रोपदी आदि...
भरके उड़ान उन्मुक्त गगन में
जीना चाहती हूं लड़की बनके __
जीना चाहती हूं, लड़का बनके ___
थोड़ी वारिस का एहसास करना।
थोड़ी बहनों की जिम्मेदारी लेना
©Beauty Kumari
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