ये कुछ ऐसे मुखौटे _ जीन | हिंदी कविता

"ये कुछ ऐसे मुखौटे _ जीना चाहती हूं, बचपन बनके __ थोड़ी अल्हड़पन, थोड़ी शरारतें वेतुकी बातें, बेवजह मुस्कुराते रहना। जीना चाहती हूं लड़की बनके __ थोड़ी संवरना, थोड़ी शरमाना बेवजह तारीफें सुनना। वेश_भूसा के जंजीरों से मुक्त होकर; कलम की तलवार से युक्त होकर; कुरीतियों को नष्ट करके; भ्रष्टाचार को भ्रष्ट करके। सभ्यता को सुस्त करके। संस्कृति को चुस्त करके।। कभी झांसी, कभी मीरा, राधा, द्रोपदी आदि... भरके उड़ान उन्मुक्त गगन में जीना चाहती हूं लड़की बनके __ जीना चाहती हूं, लड़का बनके ___ थोड़ी वारिस का एहसास करना। थोड़ी बहनों की जिम्मेदारी लेना ©Beauty Kumari"

 ये कुछ ऐसे मुखौटे _

                          जीना चाहती हूं, बचपन बनके __
थोड़ी अल्हड़पन, थोड़ी शरारतें
वेतुकी बातें, बेवजह मुस्कुराते रहना।
                          जीना चाहती हूं लड़की बनके __
थोड़ी संवरना, थोड़ी शरमाना
बेवजह तारीफें सुनना।
वेश_भूसा के जंजीरों से मुक्त होकर;
कलम की तलवार से युक्त होकर;
कुरीतियों को नष्ट करके;
 भ्रष्टाचार को भ्रष्ट करके।
सभ्यता को सुस्त करके।
संस्कृति को चुस्त करके।।
कभी झांसी, कभी मीरा, राधा, द्रोपदी आदि...
भरके उड़ान उन्मुक्त गगन में
जीना चाहती हूं लड़की बनके __
                          जीना चाहती हूं, लड़का बनके ___
थोड़ी वारिस का एहसास करना।
थोड़ी बहनों की जिम्मेदारी लेना

©Beauty Kumari

ये कुछ ऐसे मुखौटे _ जीना चाहती हूं, बचपन बनके __ थोड़ी अल्हड़पन, थोड़ी शरारतें वेतुकी बातें, बेवजह मुस्कुराते रहना। जीना चाहती हूं लड़की बनके __ थोड़ी संवरना, थोड़ी शरमाना बेवजह तारीफें सुनना। वेश_भूसा के जंजीरों से मुक्त होकर; कलम की तलवार से युक्त होकर; कुरीतियों को नष्ट करके; भ्रष्टाचार को भ्रष्ट करके। सभ्यता को सुस्त करके। संस्कृति को चुस्त करके।। कभी झांसी, कभी मीरा, राधा, द्रोपदी आदि... भरके उड़ान उन्मुक्त गगन में जीना चाहती हूं लड़की बनके __ जीना चाहती हूं, लड़का बनके ___ थोड़ी वारिस का एहसास करना। थोड़ी बहनों की जिम्मेदारी लेना ©Beauty Kumari

#ज़िंदगी #चाहत
#बचपन

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