White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं मैं अपने | हिंदी कविता

"White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं मैं हवा के झोकों तले बह रहा , मैं दरिया के पागल भंवर में हूं, मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में , मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं ©Kavi Aditya Shukla"

 White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं 
मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं 
मैं हवा के झोकों तले बह रहा ,
मैं दरिया के पागल भंवर में हूं,
मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में ,
मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं

©Kavi Aditya Shukla

White न किसी ख़्वाब न किसी नज़र में हूं मैं अपने शौख ,अपने सफ़र में हूं मैं हवा के झोकों तले बह रहा , मैं दरिया के पागल भंवर में हूं, मैं रक्श कर रहा हूं चांदनी रातों में , मैं मुसाफिरों कि बस्ती उनके शहर में हूं ©Kavi Aditya Shukla

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