White उस कहानी का अंत ऐसा रहा
आंसुओं का समंदर सुख गया
जमाना हमें पागल कहता रहा
हमसे अपना घर तक छूट गया
सुर्ख होठों से धुआं यूं उठता रहा
सच्ची मोहब्बत का भ्रम टूट गया
मयखाने में दिल ऐसा लगा रहा
जनाजा वहां शराब का उठ गया
मैं बेवफा के बदन पर रकीब के इश्क को पढ़ता रहा
उसके दुपट्टे में बोसे का काटा आहिस्ते से छुप गया
©शिवम् सिंह भूमि
उस कहानी का अंत ऐसा हुआ...
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