पल्लव की डायरी अस्तित्व किस किस का डूबा उबाल की सि | हिंदी कविता

"पल्लव की डायरी अस्तित्व किस किस का डूबा उबाल की सियासतों में जिक्र कही उनका नही है कितने उसूल तोड़े तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन तब कही जाकर सत्ता की चाय का स्वाद आया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 पल्लव की डायरी
अस्तित्व किस किस का डूबा
उबाल की सियासतों में
जिक्र कही उनका नही है
कितने उसूल तोड़े 
तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन
तब कही जाकर 
सत्ता की चाय का स्वाद आया है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी अस्तित्व किस किस का डूबा उबाल की सियासतों में जिक्र कही उनका नही है कितने उसूल तोड़े तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन तब कही जाकर सत्ता की चाय का स्वाद आया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है

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