रब तेरे ज़िद के आगे समय भी रुका है, ये देख तेरे दर | हिंदी Shayari
"रब तेरे ज़िद के आगे समय भी रुका है,
ये देख तेरे दर पे इंसा भी झुका है।
मगर ये कौन सा इंसाफ है तेरा,
जो तू इसकदर हम सब से ख़फा है।
रब तूने ये क्या किया,
जो हमको इरफान से जुदा किया,
अरे हम तो उसे दिल मे समाये है,
और तूने इस दिल को दुखा दिया??"
रब तेरे ज़िद के आगे समय भी रुका है,
ये देख तेरे दर पे इंसा भी झुका है।
मगर ये कौन सा इंसाफ है तेरा,
जो तू इसकदर हम सब से ख़फा है।
रब तूने ये क्या किया,
जो हमको इरफान से जुदा किया,
अरे हम तो उसे दिल मे समाये है,
और तूने इस दिल को दुखा दिया??