आज-कल कुछ कल का सोचकर भी कभी कभी, इस अब में जान आ | हिंदी Shayari

"आज-कल कुछ कल का सोचकर भी कभी कभी, इस अब में जान आ जाती है। कुछ कल जो बीत चुके कब के, वो भी आज महसूस हो जाते है, उनसे ही आँखों का दरिया बह जाता है, उनसे ही लबों पे मुस्कान आ जाती है। ©The Poetic Megha"

 आज-कल कुछ कल का सोचकर भी कभी कभी, 
इस अब में जान आ जाती है। 
कुछ कल जो बीत चुके कब के, 
वो भी आज महसूस हो जाते है, 
उनसे ही आँखों का दरिया बह जाता है,
उनसे ही लबों पे मुस्कान आ जाती है।

©The Poetic Megha

आज-कल कुछ कल का सोचकर भी कभी कभी, इस अब में जान आ जाती है। कुछ कल जो बीत चुके कब के, वो भी आज महसूस हो जाते है, उनसे ही आँखों का दरिया बह जाता है, उनसे ही लबों पे मुस्कान आ जाती है। ©The Poetic Megha

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#Aajkal

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