White जख्मों को छुपाते फिरते हैं, जो इश्क मे ठोकरे | हिंदी Shayari

"White जख्मों को छुपाते फिरते हैं, जो इश्क मे ठोकरें खाते हैं खामोश हो कर नजरों से, वो सबकी ओझल हो जाते हैं कि हर सूरत मे महबूब को तलाशना आसान नहीं "राज" आँधियों कि मार से थके , वो सूफ़ी बेघर परिंदे हो जाते हैं ©Saurabh Raj Sauri"

 White जख्मों को छुपाते फिरते हैं, जो इश्क मे ठोकरें खाते हैं
खामोश हो कर नजरों से, वो सबकी ओझल हो जाते हैं
कि हर सूरत मे महबूब को तलाशना आसान नहीं "राज"
आँधियों कि मार से थके , वो सूफ़ी बेघर परिंदे हो जाते हैं

©Saurabh Raj Sauri

White जख्मों को छुपाते फिरते हैं, जो इश्क मे ठोकरें खाते हैं खामोश हो कर नजरों से, वो सबकी ओझल हो जाते हैं कि हर सूरत मे महबूब को तलाशना आसान नहीं "राज" आँधियों कि मार से थके , वो सूफ़ी बेघर परिंदे हो जाते हैं ©Saurabh Raj Sauri

बेघर परिंदे बन जाते है☺️

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