इस सृष्टि में बदलाहटपन स्वाभाविक है। लेकिन इस बदलाहटपन में भी एक नियमितता है। एक नियत समय पर हीं दिन आता है, रात होती है। एक नियत समय पर हीं मौसम बदलते हैं। क्या हो अगर दिन रात में बदलने लगे? समुद्र सारे नियमों को ताक पर रखकर धरती पर उमड़ने को उतारू हो जाए? सीधी सी बात है , अनिश्चितता का माहौल बन जायेगा l भारतीय राजनीति में कुछ इसी तरह की अनिश्चितता का माहौल बनने लगा है। माना कि राजनीति में स्थाई मित्र