प्रकृति की गोद में पला वो भी नन्हा पेड़ है
हमारी ही तरह उसमे भी बसता प्राण है
सींचा जाता प्रेम की वो बरसात में
तो संजो रखते उसे स्वयं सूर्य की प्रकाश ने
नाजुक था जो कभी बन जाता वो विशाल पेड़ है
ओरो को छाया देता और तपता रहता खुद धूप में
फल फूल सब हमें खिलाता बदले मे हमसे कुछ ना मांगता
खुद दूषित हवा ले कर हमे शुद्ध हवा देता
फिर भी स्वार्थी इंसान के लिए अक्सर जरूरत के नाम बलि चढ़ जाता
प्रकृति का वो बेटा है प्रकृति पर ही वो निछावर है
परोपकार का नाम वृक्ष और उन्ही से ये संसार है।।
©Akshita yadav
#WorldEnvironmentDay