प्रकृति की गोद में पला वो भी नन्हा पेड़ है हमारी ह | हिंदी Poetry

"प्रकृति की गोद में पला वो भी नन्हा पेड़ है हमारी ही तरह उसमे भी बसता प्राण है सींचा जाता प्रेम की वो बरसात में तो संजो रखते उसे स्वयं सूर्य की प्रकाश ने नाजुक था जो कभी बन जाता वो विशाल पेड़ है ओरो को छाया देता और तपता रहता खुद धूप में फल फूल सब हमें खिलाता बदले मे हमसे कुछ ना मांगता खुद दूषित हवा ले कर हमे शुद्ध हवा देता फिर भी स्वार्थी इंसान के लिए अक्सर जरूरत के नाम बलि चढ़ जाता प्रकृति का वो बेटा है प्रकृति पर ही वो निछावर है परोपकार का नाम वृक्ष और उन्ही से ये संसार है।। ©Akshita yadav"

 प्रकृति की गोद में पला वो भी नन्हा पेड़ है
हमारी ही तरह उसमे भी बसता प्राण है
सींचा जाता प्रेम की वो बरसात में
तो संजो रखते उसे स्वयं सूर्य की प्रकाश ने 
नाजुक था जो कभी बन जाता वो विशाल पेड़ है
ओरो को छाया देता और तपता रहता खुद धूप में
फल फूल सब हमें खिलाता बदले मे हमसे कुछ ना मांगता
खुद दूषित हवा ले कर हमे शुद्ध हवा देता 
फिर भी स्वार्थी इंसान के लिए अक्सर जरूरत के नाम बलि चढ़ जाता
प्रकृति का वो बेटा है प्रकृति पर ही वो निछावर है
परोपकार का नाम वृक्ष और उन्ही से ये संसार है।।

©Akshita yadav

प्रकृति की गोद में पला वो भी नन्हा पेड़ है हमारी ही तरह उसमे भी बसता प्राण है सींचा जाता प्रेम की वो बरसात में तो संजो रखते उसे स्वयं सूर्य की प्रकाश ने नाजुक था जो कभी बन जाता वो विशाल पेड़ है ओरो को छाया देता और तपता रहता खुद धूप में फल फूल सब हमें खिलाता बदले मे हमसे कुछ ना मांगता खुद दूषित हवा ले कर हमे शुद्ध हवा देता फिर भी स्वार्थी इंसान के लिए अक्सर जरूरत के नाम बलि चढ़ जाता प्रकृति का वो बेटा है प्रकृति पर ही वो निछावर है परोपकार का नाम वृक्ष और उन्ही से ये संसार है।। ©Akshita yadav

#WorldEnvironmentDay

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