कहीं धूप,कहीं छांव,कहीं हवाएं ,तो कहीं ये बरस रहें | हिंदी Shayari

"कहीं धूप,कहीं छांव,कहीं हवाएं ,तो कहीं ये बरस रहें हैं। जैसे किसी की याद में , ये मौसम भी तड़प रहें हैं।।"

 कहीं धूप,कहीं छांव,कहीं हवाएं ,तो कहीं ये बरस रहें हैं।
जैसे  किसी  की  याद  में , ये  मौसम  भी  तड़प  रहें हैं।।

कहीं धूप,कहीं छांव,कहीं हवाएं ,तो कहीं ये बरस रहें हैं। जैसे किसी की याद में , ये मौसम भी तड़प रहें हैं।।

कहीं धूप,कहीं छांव,कहीं हवाएं ,तो कहीं ये बरस रहें हैं।
जैसे किसी की याद में , ये मौसम भी तड़प रहें हैं।।
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