वो रब जिस को चाहे, जब चाहे और जितना चाहे अपनी मर् | हिंदी Shayari Vide

"वो रब जिस को चाहे, जब चाहे और जितना चाहे अपनी मर्ज़ी से अता करता है। दूसरों से बस वही इंसान जलता है, जो रब की इस तक़सीम पर ना-ख़ुश रहता है और सवाल करता है। शुक्र है उस रब का कि उसने मुझे ऐसा दिल नहीं दिया, जो दूसरों की ख़ुशियों से और तरक्की से जलता है। क्यूॅंकि दिल मेरा कभी भी रब की तक़सीम और अता पर ना शक करता है और ना सवाल करता है । ©Sh@kila Niy@z "

वो रब जिस को चाहे, जब चाहे और जितना चाहे अपनी मर्ज़ी से अता करता है। दूसरों से बस वही इंसान जलता है, जो रब की इस तक़सीम पर ना-ख़ुश रहता है और सवाल करता है। शुक्र है उस रब का कि उसने मुझे ऐसा दिल नहीं दिया, जो दूसरों की ख़ुशियों से और तरक्की से जलता है। क्यूॅंकि दिल मेरा कभी भी रब की तक़सीम और अता पर ना शक करता है और ना सवाल करता है । ©Sh@kila Niy@z

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