पल्लव की डायरी छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में अ | हिंदी कविता

"पल्लव की डायरी छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में अफरातफरी का आलम है चेतती नही सरकारे दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है पाबंदिया के साये में पब्लिक है मगर प्रदूषण के बचाव में वाहनों से बसूली के फंड कहा पर है सब जिमेदारी का दामोदर पब्लिक पर है तो फिर रोल किया सरकारों का है इनकी बेतुकी हरकतो से दिल्ली आज दम तोड़ रही है बीमारियो की जद में बच्चों बुजुर्गों को ले रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 पल्लव की डायरी
छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में
अफरातफरी  का आलम है
चेतती नही सरकारे
दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है
पाबंदिया के साये में पब्लिक है
मगर प्रदूषण के बचाव में 
वाहनों से बसूली के फंड कहा पर है
सब जिमेदारी का दामोदर पब्लिक पर है
तो फिर रोल किया सरकारों का है
इनकी बेतुकी हरकतो से
दिल्ली आज दम तोड़ रही है
बीमारियो की जद में
 बच्चों बुजुर्गों को ले रही है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में अफरातफरी का आलम है चेतती नही सरकारे दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है पाबंदिया के साये में पब्लिक है मगर प्रदूषण के बचाव में वाहनों से बसूली के फंड कहा पर है सब जिमेदारी का दामोदर पब्लिक पर है तो फिर रोल किया सरकारों का है इनकी बेतुकी हरकतो से दिल्ली आज दम तोड़ रही है बीमारियो की जद में बच्चों बुजुर्गों को ले रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#Yaari दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है

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