हे जगजीवन,हे जगनायक, प्रथम पूज्य गणपति विनायक। भक् | हिंदी कविता

"हे जगजीवन,हे जगनायक, प्रथम पूज्य गणपति विनायक। भक्तजन आस पुगाते सदा तुम, दीनन के तुम सदा सहायक। परम पिता तुम हे परमेश्वर भाग्य विधाता हे जगदीश्वर। शिव गौरी सुत दया निधाना, रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दायक। वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना, रूप तुम्हारा अति मन भावना। स्वर्ण मुकुट शोभे सिर माथे, सब देवन में तुम नायक। दूब घास गणपति मन भावत, लाल गुड़हल जब सुमन चढावत। होत प्रसन्न मन अति लंबोदर, करते सब शुभ तुम शुभदायक। नीलम शर्मा ✍️ ©Neelam Sharma"

 हे जगजीवन,हे जगनायक,
प्रथम पूज्य गणपति विनायक।
भक्तजन आस पुगाते सदा तुम,
दीनन के तुम सदा सहायक।
परम पिता तुम हे परमेश्वर
भाग्य विधाता हे जगदीश्वर।
शिव गौरी सुत दया निधाना,
रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दायक।
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
रूप तुम्हारा अति मन भावना।
स्वर्ण मुकुट शोभे सिर माथे,
सब देवन में तुम नायक।
दूब घास गणपति मन भावत,
लाल गुड़हल जब सुमन चढावत।
होत प्रसन्न मन अति लंबोदर,
करते सब शुभ तुम शुभदायक।
नीलम शर्मा ✍️

©Neelam Sharma

हे जगजीवन,हे जगनायक, प्रथम पूज्य गणपति विनायक। भक्तजन आस पुगाते सदा तुम, दीनन के तुम सदा सहायक। परम पिता तुम हे परमेश्वर भाग्य विधाता हे जगदीश्वर। शिव गौरी सुत दया निधाना, रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दायक। वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना, रूप तुम्हारा अति मन भावना। स्वर्ण मुकुट शोभे सिर माथे, सब देवन में तुम नायक। दूब घास गणपति मन भावत, लाल गुड़हल जब सुमन चढावत। होत प्रसन्न मन अति लंबोदर, करते सब शुभ तुम शुभदायक। नीलम शर्मा ✍️ ©Neelam Sharma

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