दोस्ती जो तूने सोची थी
वही तो मोहब्बत थी
तेरे शहर मे एक राह उसके घर की भी थी
तूने एक नज़र मुड़ कर तो देखी होती
तो पता चलता ये उसकी मोहब्बत की हद थी
कभी दिमाग की जगह दिल से सोचा होता
तो जो तू तन्हा है उसकी जिम्मेदार भी सिर्फ तू ही थी
©Yogesh Kumar
मोहब्बत की हद