किसी ख्याली सिगरेट के दो कश लगाकर या किसी
मयकदे के जाम की दो घुंट गले के नीचे उतारकर,
तुझे भला ना चाहता हूँ या,
अपना बनाना चाहता हूं l
इस कैद - ए - तनहाई में कुछ शामें और गुज़ारना
बाकी है अभी,
ज़िदा रहकर, तेरे सारे ऐब जानना
बाकी है अभी l
खुदा का नहीं पता पर थोड़ा रुककर तुझे याद करना
मेरी मर्जी होती है,
याद करना तेरे उस नूरानी चेहरे को ,
जो सादगी से ही सही पर सजी होती थी l
©N.T. Novels
#uskiyaadmein (part-2)