रोज सवेरे साथ तेरे हर पल देखूंगा
आज भी देखे हे वो, कल भी मैं देखूंगा...
रोज सवेरे साथ तेरे हर पल देखूंगा
आज भी देखे हे वो, कल भी मैं देखूंगा...
थामी हे डोर तुझे यू नही छोडूंगा
रास्तों में तुझसे मूंह नही मोडूंगा
रंग बिरंगे बादलों में रास्ते हे
ख्वाब तेरे मेरे इनमे में ही बसते हे
रोज सवेरे साथ तेरे हर पल देखूंगा
आज भी देखे हे वो, कल भी मैं देखूंगा...
थमी हे जमी थमा थमा हे ये आसमा
रोज सवेरे कर रहे बया दासता
खोली हे खिड़कियां.. दरवाज़े भी मैं खोलूंगा
ख्वाबों को इक डोर में मैं पिरो लूंगा
रोज सवेरे साथ तेरे हर पल देखूंगा
आज भी देखे हे वो, कल भी मैं देखूंगा...
सूरज की किरणे आती हे जगाती हे
देख के उन्हे आखें मूंद मूंद जाती हे
सपनो की दुनिया आखों से दिखलाती हे
रोज सवेरे देखने वो किरणे बन के आती हे
उम्मीदों की किरणे है आशाओं की लगन है
जागी है दिल में फिर जागी है मन में
©Shivaay Malviya
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